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जीवन यात्रा

सेवा ही कर्म और सेवा ही धर्म इनका,
जननीति के जननेता, ओम बिरला नाम इनका।

राजनीति में समर्पण, शुचिता और जनसेवा की मिसाल, कोटा-बूँदी के सांसद, लोक सभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला का सम्पूर्ण जीवन सेवाभाव, सादगी और संजीदगी का पर्याय रहा है। किशोर वय से ही छात्र राजनीति में सक्रिय रहे श्री बिरला अपने कॉलेज में छात्रसंघ पदाधिकारी निर्वाचित हुए। समर्पण भाव से लोकहित में कार्यरत रहकर श्री बिरला ने राजनीतिक ऊँचाइयों को तो छुआ ही, साथ ही जन हृदयों की गहराई तक भी उतरते गए।
श्री ओम बिरला वर्ष 1991 में भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष बने तथा वर्ष 1997 में युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बने।
तीन बार विधायक रहे:
श्री ओम बिरला वर्ष 2003 में पहली बार कोटा दक्षिण विधानसभा सीट से जीतकर राजस्थान विधान सभा पहुँचे। वर्ष 2008 में वह दूसरी बार कोटा दक्षिण से विधायक निर्वाचित हुए। आमजन के लिए प्रतिबद्धता और जनकल्याण का परिणाम रहा कि वर्ष 2013 में लगातार तीसरी बार श्री बिरला राजस्थान विधानसभा के लिए निर्वाचित हुए।
श्री ओम बिरला का अपने क्षेत्र और क्षेत्रवासियों के प्रति जुड़ाव अतुलनीय है। कोटा को शिक्षा नगरी के रूप में देशभर में ख्याति दिलाने में श्री बिरला की सर्वप्रमुख भूमिका है। उन्होंने बूँदी में चंबल नदी के पानी की आपूर्ति के लिए आंदोलन किया। बहुराष्ट्रीय कंपनियों के खिलाफ सिटी डेवलपमेंट टैक्स और मूवमेंट में छूट के लिए रावतभाटा आंदोलन के लिए भी उनके प्रयास उल्लेखनीय रहे हैं। श्री ओम बिरला ने नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर एसोसिएशन लिमिटेड, नई दिल्ली के उपाध्यक्ष के रूप में कार्य करते हुए पूरे देश में सुपर बाजार योजना के नेटवर्क के विकास की योजना शुरू की।
जयपुर से दिल्ली तक का सफ़र:-
वर्ष 2014 के लोक सभा चुनाव में श्री ओम बिरला ने कोटा-बूँदी निर्वाचन क्षेत्र से 2 लाख से अधिक मतांतर से जीत हासिल कर 16वीं लोक सभा में प्रवेश किया। नवनिर्वाचित सांसद श्री बिरला को 2014 में ही संसदीय प्राक्कलन समिति के सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया। श्री बिरला संसदीय याचिका समिति, ऊर्जा संबंधी स्थायी समिति और सलाहकार समिति में भी सदस्य चुने गए।
वर्ष 2019 के लोक सभा चुनाव में श्री ओम बिरला अपनी पूर्ववत सीट से लगातार दूसरी बार जीत प्राप्त कर संसद पहुँचे। सर्वसम्मति से 19 जून, 2019 को उन्हें 17वीं लोक सभा का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया। सदन अध्यक्ष निर्वाचित होने के बाद उन्होंने सदन की कई पुरानी परंपराओं को बदला है।
कागज़ों पर चलने वाली संसदीय कार्यवाही को टैबलेट और मोबाईल पर डिजिटल स्वरूप देने में श्री ओम बिरला के क़दम क्रांतिकारी रहे हैं। सदन की कार्यवाही के दौरान राजभाषा के प्रयोग से उन्होंने लम्बे समय से चल रहे ट्रेंड को बदला है। लोक सभा अध्यक्ष सांसदों को ऑनरेबल एमपी के संबोधन के बजाए `माननीय सदस्यगण’ कहकर संबोधित करते हैं तो एडजर्नमेंट मोशन को स्थगन प्रस्ताव और `ज़ीरो आवर` को शून्य काल कहते हैं। इतना ही नहीं सदन में वोटिंग के दौरान 'यस-नो की परंपरा को हां-नहीं' में बदलने वाले स्पीकर की विनम्रता के कायल खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हैं तो दूसरी तरफ वह सदन में व्यवस्था बनाए रखने के लिए अनुशासन और सख्ती में भी कमी नहीं रखते।
श्री बिरला की राजनीति हर वर्ग और व्यक्ति के समावेशी विकास पर केंद्रित रही है। अपनी नीतियों में वे शिक्षा, पोषण, बुनियादी जरूरतों और स्वावलंबन पर सदैव ज़ोर देते रहे हैं। हाशिये पर खड़े तबके के उत्थान एवं न्यायपूर्ण नीति निर्माण के ध्येय के साथ श्री बिरला की राजनीतिक यात्रा 4 दशक से ज़्यादा का समय पार कर चुकी है।

जीवन यात्रा

  • 2019-2024

    सर्वसम्मति से 17वीं लोकसभा के अध्यक्ष पद पर निर्वाचित
  • 2019-2024

    कोटा-बूंदी संसदीय क्षेत्र से दूसरी बार लोकसभा के लिए निर्वाचित (दूसरा कार्यकाल)
  • 2014-2019

    कोटा-बूंदी संसदीय क्षेत्र से 16वीं लोकसभा के लिए चुने गए
  • 2013-2014

    लगातार तीसरी बार विधायक निर्वाचित
  • 2008-20013

    दूसरी बार विधायक निर्वाचित
  • 2003-2008

    पहली बार विधायक निर्वाचित होकर राजस्थान विधानसभा पहुँचे
  • 1997-2003

    भारतीय जनता युवा मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष
  • 1993-1997

    भारतीय जनता युवा मोर्चा, राजस्थान राज्य के प्रदेश अध्यक्ष
  • 1987-1995

    अध्यक्ष, कोटा कोआपरेटिव कंज्यूमर होलसेल भंडार लिमिटेड
  • 1987-1991

    जिला अध्यक्ष, कोटा, भारतीय जनता युवा मोर्चा
  • 1978-1979

    अध्यक्ष, छात्रसंघ, राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, गुमानपुरा, कोटा